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दिल के चंद एहसास



वो किसी और के लिए, 
हुस्न का गुलशन खिलाए बैठे हैं।। 
दिल के अरमानों का, 
महकता हार सजाये बैठे हैं।। 
हम क्या करें उनसे, 
मोहब्बत की इल्तजा।। 
जो किसी और की चाहत में, 
खुद को भुलाए बैठे हैं।।


----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---

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3 Comments

Rabina Vishwakarma

07-Feb-2023 01:59 PM

Vvery nice👍👍👍

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Gunjan Kamal

17-Dec-2022 03:03 PM

बहुत खूब

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Sachin dev

15-Dec-2022 05:50 PM

Wonderful 👍

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